
क्यों इस गाँव में दशहरा नहीं मनाया जाता? | Bisrakh Village Ravan Birthplace History
बिसरख गाँव का इतिहास (Bisrakh Village History)
क्यों यहाँ दशहरा नहीं मनाया जाता?
- भारत के अन्य हिस्सों में दशहरा रावण दहन का प्रतीक है।
- लेकिन Bisrakh Village के लोग रावण को जलाना अपशकुन मानते हैं।
- उनका विश्वास है कि यह भूमि रावण की आत्मा से जुड़ी है और यहाँ दशहरा मनाना अनिष्टकारी हो सकता है।
रावण और शिवजी की भक्ति (Ravan Shiv Bhakti)
रावण को रामायण में खलनायक कहा जाता है, लेकिन पुराणों में उनका दूसरा रूप सामने आता है—एक महान शिवभक्त।
- रावण ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की।
- उन्होंने रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना की।
- कैलाश पर्वत उठाकर भोलेनाथ को प्रसन्न करने का प्रयास किया।
- शिवजी ने उन्हें अद्भुत शक्तियाँ और विद्या का वरदान दिया।
इसी कारण Bisrakh Gaon के लोग रावण को केवल राक्षस नहीं, बल्कि विद्वान और महाभक्त मानते हैं।
बिसरख गाँव की सच्चाई और मान्यताएँ
बिसरख गाँव के बुज़ुर्ग बताते हैं कि कभी किसी ने यहाँ रावण दहन करने का प्रयास किया था, जिसके बाद पूरे गाँव में बीमारी और संकट फैल गया।
तब से यहाँ दशहरे पर रावण पूजन और शिव आराधना होती है।
गाँव का वातावरण दशहरे पर भी शांत और आध्यात्मिक रहता है।
दूधेश्वर नाथ महादेव मंदिर का छुपा इतिहास (Dudheshwar Nath Mandir History)
बिसरख से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है दूधेश्वर नाथ महादेव मंदिर (Dudheshwar Nath Mandir Ghaziabad)।
- माना जाता है कि यहीं पर विश्रवा ऋषि और रावण ने तपस्या की थी।
- शिवजी ने रावण को यहीं से वरदान और शक्ति प्रदान की थी।
- आज भी मंदिर में भक्त दूध चढ़ाकर महादेव का अभिषेक करते हैं।
यह मंदिर Sanatan Dharma की प्राचीन विरासत का जीवंत प्रमाण है।
रावण की तपस्या और विद्या (Ravan Tapasya & Knowledge)
रावण केवल लंका का राजा ही नहीं, बल्कि—
- एक महान ज्योतिषाचार्य था।
- उसने शिव तांडव स्तोत्र की रचना की।
- चारों वेद और छहों शास्त्रों का ज्ञान उसके पास था।
- आयुर्वेद में भी उसका गहरा अध्ययन था।
यही कारण है कि रावण को “विद्वान पंडित” और “शिवभक्त” दोनों रूपों में याद किया जाता है।
सनातन धर्म की कथाएँ और विश्रवा ऋषि की विरासत
- रावण के पिता विश्रवा ऋषि महर्षि पुलस्त्य के पुत्र थे।
- वे वेद-पुराणों के महान आचार्य थे।
- उनका आश्रम आज का बिसरख गाँव माना जाता है।
इस गाँव की पहचान केवल रावण से नहीं, बल्कि विश्रवा ऋषि की आध्यात्मिक शक्ति और विरासत से भी है।
बिसरख गाँव और सनातन परंपरा का संदेश
Bisrakh Village Ghaziabad और Dudheshwar Nath Mandir यह बताते हैं कि इतिहास और धर्म एक ही रंग में नहीं देखे जा सकते।
निष्कर्ष
जब भारत के अन्य हिस्सों में दशहरे पर Ravan Dahan होता है, बिसरख गाँव में शिवपूजन और शांत वातावरण देखने को मिलता है।
यह स्थान हमें याद दिलाता है कि इतिहास और धर्म के कई अदृश्य पहलू हैं।